रविवार को प्रेस कांफ्रेंस संबोधित करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में स्थित ऑफिसर्स क्लब में होती है भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों और सीबीआई अधिकारियों के बीच पैसों की डील।
चाणक्यपुरी में स्तिथ पब्लिक सर्विस ऑफिसर इंस्टीट्यूट (ऑफिसर्स क्लब) में बुधवार को सीबीआई ने एक केस के सिलसिले में छापा मारा। छापे के दौरान कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। क्लब के जो कैटरर्स हैं वो कुछ साल पहले तक सीबीआई की कैंटीन में काम किया करते थे। और इसी बात का फायदा उठाकर आज वो भ्रष्टाचार के केस में फंसे आईएएस अधिकारियों और सीबीआई के अधिकारियों के बीच पैसों की साँठ-गाँठ कराने वाली कड़ी बन गए हैं। यही नहीं छापे के दौरान यह भी पता चला कि पैसों का लेन-देन कैश में और देश के बाहर हवाला के द्वारा भी किया जाता है। वहां काम करने वाले कैटरर्स के दराज़ से दिल्ली के यूटी कैडर के आईएएस अधिकारियों की पर्सनल जानकारियां, उनके पासपोर्ट और वीज़ा आदि भी बरामद हुए हैं।
बरामद हुए कागजातों, पासपोर्ट और वीजा में जांच करने पर पाया कि कुछ ऐसे अधिकारियों के भी कागज़ हैं जिन पर करप्शन के केस चल रहे हैं, सीबीआई की इंक्वायरी चल रही है। सीबीआई के छापे में सामने आई जानकारियों से एक बात साफ हो गई है कि 2015 में दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो इन आईएएस अधिकारियों को मालूम था कि दिल्ली सरकार के पास एसीबी है और विजिलेंस विभाग भी है, उन्हें डर था कि यह जांच करेंगे और भ्रष्ट अधिकारियों को जेल भेजेंगे।
इसी डर के चलते आईएएस अधिकारियों ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर एक साज़िश रची और हमारी सरकार के आने के कुछ ही महीनों के अंदर एक
नोटिफिकेशन लाकर दिल्ली की सरकार से एसीबी और सर्विसेज विभाग छीनकर केंद्र सरकार के अधीन कर लिया।
उन्होंने कहा कि ये बात इस तथ्य को सिद्ध करती है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया कि सर्विसेज विभाग दिल्ली सरकार के ही अधीन है और अन्ततःयह केस सुप्रीम कोर्ट की डिविज़नल बेंच के अंदर आने वाला है तो आईएएस असोसिएशन भी उस केस में पार्टी बन गई है। देश के इतिहास में ये पहली बार हो रहा है कि आईएएस असोसिएशन कोर्ट से कह रही है कि हमारी भी सुनो कि हम कौन सी सरकार के अधीन रहने में आनंदप्रद महसूस करते हैं।
आईएएस असोसिएशन का इस केस में पार्टी बनना और कोर्ट से कहना कि हम दिल्ली की ईमानदार सरकार के अधीन ना रहकर केंद्र की सरकार के अधीन रहना चाहते हैं, केंद्र सरकार को भी शक के दायरे में लाती है।
सौरभ भारद्वाज ने मीडिया के माध्यम से सीबीआई के समक्ष कुछ प्रश्न रखे जो इस प्रकार से हैं....
1- CBI बताए कि किन-किन अधिकारियों के और कौन-कौन से कागज़ात सीबीआई को बरामद हुए हैं?
2- CBI बताए कि क्या यह सच है कि कैटरर्स की दराज़ से 3 करोड़ 66 लाख नकद, 1 करोड़ 60 लाख की ज्वेलरी और 20 रोलेक्स की इंपोर्टेड घड़ियों के साथ-साथ हवाला के द्वारा की गई पैसों की ट्रांजैक्शन के कागज़ात बरामद हुए हैं?
3- हम सीबीआई से पूछना चाहते हैं क्या यह सच नहीं है कि सीबीआई ने बुधवार को ऑफिसर्स क्लब में छापा मारा था और छापे के दौरान उन्हें सवाल नंबर 2 में बताई गई राशि और कागजात बरामद हुए थे?
4- हम सीबीआई से पूछना चाहते हैं कि अगर इस केस में FIR हुई तो सीबीआई ने इसका खुलासा क्यों नहीं किया? आमतौर पर सीबीआई 50 हज़ार तक के करप्शन के केस में भी मुस्तैदी से काम करती दिखती है तो इतने बड़े केस में ढील क्यों बरत रही है?
5- क्या सीबीआई ने इस केस के संबंध में कोई प्रेस रिलीज जारी की और उसकी जानकारी मीडिया को दी?
छोटे-छोटे मुद्दों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली भाजपा और कांग्रेस से हम चाहते हैं कि सीबीआई की रेड से हुए इस खुलासे पर भाजपा और कांग्रेस भी चर्चा करें, अगर भाजपा और कांग्रेस इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलती हैं तो यह बात सिद्ध हो जाती है कि देश में बड़े बड़े अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर ना कांग्रेस कुछ बोलती है ना भाजपा कुछ बोलती है। देश में सारे बड़े-बड़े भ्रष्टाचार राजनीतिक पार्टियों और ब्यूरोक्रेट्स की मिलीभगत से होते हैं।
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि आज हमने एक ट्वीट के माध्यम से आईएएस एसोसिएशन से भी पूछा है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली, कैंडल मार्च निकालने वाली और रिजोल्यूशन पास करने वाली आईएएस एसोसिएशन अपने ही अंदर चल रहे इस भ्रष्टाचार पर कुछ बोलेगी, कोई रिज़ॉल्यूशन निकालेगी, कोई कार्यवाही करेगी?