वर्ल्ड नो टोबैको डे यानी विश्व तंबाकू निषेध दिवस है। तंबाकू सेवन किस कदर घातक हो सकता है, इसका अंदाजा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है जिसमें कहा गया है कि पिछली यानी 20वीं सदी में तंबाकू सेवन से मरने वालों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा थी। इसी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर हालात नहीं बदलेतो 21वीं सदी में इससे मरने वालों का आंकड़ा 1 अरब के करीब पहुंच सकता है। भारत भी इसके असर से अछूता नहीं है। देश में हर साल 10 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन करने से हो जाती है।
विश्व में हर साल तंबाकू उत्पादों से 70 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 लाख लोग इसके कारण दिल की बीमरियों तथा लकवे का शिकार हो रहे हैं।
डब्ल्यू एच ओ ने आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस (वर्ल्ड नोटो बैकोडे) पर रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया है कि धूम्रपान करने वाले लोग तो इससे होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर मारे जाते हैं। इनकी वजह से परोक्ष धूम्रपान का शिकार होने वाले लोग भी अपनी जान गवां रहे हैं। इस तरह के सेकंड हैंड एक्सपोजर से मरने वालों का आंकड़ा 8,90,000 है।
डब्ल्यू एच ओ ने तंबाकू उत्पादों और ध्रूमपान के खतरों से लोगों को अवगत कराने के लिए 2005 में एक प्रस्ताव पेश किया था। इसका अनुमोदन 180 देशों ने कर दिया है। इसमें तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन और प्रायोजकता पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी। डब्ल्यू एच ओ के एक रोग विभाग के निदेशक डगलस बैचर ने बताया कि इस मुहिम के अच्छे परिणाम सामने आए हैं।
साल 2000 में जहां विश्व की कुल आबादी का 20 प्रतिशत हिस्सा तंबाकू उत्पादों का सेवन कर तथा वहीं यह 2016 में घटकर 20 प्रतिशत रह गया है। उन्हों ने कहा कि अभी इस दिशा में काफी कुछ किया जाना है।
6.35 करोड़ बच्चे भारत में करते है धूम्रपान
सबसे अधिक दिक्कतें निम्न और मध्य आय वाले देशों में आ रही हैं। यहां तंबाकू लॉबी इतनी ताकतवर है कि वे अपने उत्पादों के प्रचार के लिए किसी भी तरह के हथकंडे अपनाने को तैयार रहते हैं। इन कंपनियों का लक्ष्य ज्यादातर युवावर्ग होता है जिसके लिए ये उत्पादों की कीमत भी कम रखती हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रतिवर्ष तंबाकू उत्पादों के सेवन से सत्तर लाख से अधिक लोग मारे जा रहे हैं और इनमें से अधिकांश को पता होता है कि धूम्रपान कैंसर का एक बड़ा कारण है, इसके बावजूद वे इस लत का शिकार बनते हैं। विश्व में धूम्रपान करने वालों की संख्या 1.1 अरब है, जिनमें चीन में 30.7 करोड़ लोग और भारत में 10.6 करोड़ लोग इसके जाल में फंसे हुए हैं।